गर्भावस्था में पोषण (Nutrition during pregnancy) : हिन्दी में (in Hindi)

एक स्वस्थ बच्चे की अवधारणा ही जन्म देने वाली एक स्वस्थ माता की ओर ले जाती है। जो की स्वाभाविक रूप से स्वीकार्य है। अतः परिवार को चाहिए की वह गर्भवती महिला का पूरा ध्यान रखें।

        गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में मानसिक व शारीरिक रूप से कई बदलाव होते हैं । ऐंसे में जरूरी है, कि महिलाएं अपने आप को बेहतर रूप से समझते हुए उन बदलावों के प्रति सामंजस्य बनाकर रखे। साथ ही जीवनसाथी व परिवार की भूमिका भी इस समय अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्हें भी भरसक प्रयास करना चाहिए कि गर्भवती महिला को मानसिक व शारीरिक रूप से मदद कर सके।

           गर्भावस्था में संतुलित पोषण मां व बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण होता है, बल्कि पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों से भी निजात मिलती है। बच्चों में टीकाकरण चार्ट

शिशु का विकास गर्भ से ही शुरू हो जाता है। अतः आवश्यक है कि शरीर में सही मात्रा में पौष्टिक तत्वों की पूर्ति होती रहे। यह समय अपने साथ – साथ शिशु के पोषण का भी सही व सटीक ध्यान रखने का होता है। जिससे बच्चा कुपोषण का शिकार न हो। किसी भी प्रकार की लापरवाही व अज्ञानता आपको व आने वाले शिशु के लिए परेशानी का सबब हो सकती है।

        यह लेख स्वस्थ व सामान्य स्थिति की गर्भवति महिला के लिए जागरूकता पर आधरित है। किसी भी व्यक्तिगत शारीरिक समस्या के अनुसार आपका पोषण क्या होना चाहिए ? इस बारे में अपने चिकित्सक और डायटीशियन से संपर्क करने के पश्चात ही उसका पालन करें। आप अपनी संपूर्ण मेडिकल केस हिस्ट्री अपने चिकित्सक को दें, ताकि आपके जाँच के अनुरूप ही आपको सही पोषण दिया जा सके। 

विशेष पोषण की आवश्यकता क्यों ?

जैंसा कि पहले भी बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं में कई प्रकार के शारीरिक व मानसिक बदलाव आते हैं। आने वाले नए बच्चे के लिए भी पोषण, माँ के द्वारा ही बच्चे को मिलता है। इसलिए माँ को ही अपने शरीर के साथ – साथ बच्चे का पोषण को भी ग्रहण करना पड़ता है। इसके अलावा भी निम्न कारणों से जन्म देने वाली माता को विशेष पोषण की आवश्यकता होती है-

  • महिलाओं के शारीरिक आकार व वजन में वृद्धि के कारण
  • बी0एम0 आर0 (BMR) में वृद्धि के कारण
  • पाचन क्रिया प्रभावित होने के कारण
  • जी मिचलाना, उल्टीयां आना, कब्ज एवं अन्य पाचन सबंधी रोगों के कारण
  • किडनी का कार्यभार बढ़ जाने के कारण
  • रक्त प्लाज्मा, हिमोग्लोबिन (hemoglobin) व आर0 बी0 सी0 (RBCs) में बदलाव के कारण
  • हार्मोनल गतिविधियों में परिवर्तन के कारण

गर्भावस्था में पोषण

पोषण को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
मैक्रोन्यूट्रिन्ट ( Macro-nutrients) या वृह्त आहार घटक :
इसमें वे सभी खाद्य पदार्थ आते हैं, जो शरीर को कैलोरी या ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये ज्यादा मात्रा में ग्रहण किए जाते हैं, अतः मैक्रोन्यूट्रिन्ट कहलाते हैं। इनमें प्रमुख हैं – प्रोटीन, कार्बोहाड्रेट, वसा

माइक्रोन्यूट्रिन्ट (Micro-nutrients) या अल्प आहार घटक :
इसमें विटामिन (Vitamins) व खनिज लवण (Minerals) आते हैं। ये बेशक कम मात्रा में शरीर के लिए आवश्यक हैं। लेकिन इनकी उपयोगिता अत्यधिक है। क्योंकी इनके स्रोत हमारे खाद्य पदार्थों में कम शामिल होते हैं। अतः इनका ध्यान आवश्यक रूप से रखना पड़ता है।

जल

जल एक अतिमहत्वपूर्ण जीवनोपयोगी तरल है। जिसका सेवन पर्याप्त मात्रा में किया जाना चाहिए। जल सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों में उपस्थित अवयवों का पाचन, स्थानांतरण व उपयोग पश्चात निष्कासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः पर्याप्त मात्रा में जल ( 8 से 10 गिलास ) रोज ग्रहण करना संतुलित आहार का प्रमुख भाग है। बच्चों में टीकाकरण चार्ट

कुछ आवश्यक घटकों की सूची

गर्भवती महिला के लिए प्रथम त्रैमासिक में रोजाना 350 किलो कैलोरी अतिरिक्त मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जो कि बाद में 450 किलो कैलोरी तक हो जाती है।

घटक /अवयवमात्रा/
प्रतिदिन
स्रोत
प्रोटीन60gm (+15gm)दूध व दूध से बने उत्पाद मूंगफली, काजू,
बादाम, दलहन, मांस अंडे, मछली।
कैल्सियम 1200 mgदूध, दही पनीर, सार्डिन
आयरन 27 mgलाल मांस सूखे बीन्स, मटर
विटामिन ए 770 mcgगाजर, पत्तेदार साग, मीठे आलू
थायमिन 1.1 mgअनाज, दाल, मांस व बीन्स मटर
विटामिन बी 12 2.6 mcgयकृत , मांस, मछली, मुर्गी , दूध
विटामिन सी 85mgखटटे फल, ब्रोकली, टमाटर, स्ट्रॉबेरी
फोलिक एसिड 600-800mcgदालें राजमा, पालक, सोयाबीन, मटर, स्टाबेरी काबुली चने, साबुत अनाज का आटा, भिंडी, दलिया,
विटामिन डी 600 IUवसीय मछली, सालमोन , टूना बीफ चीज अंडे की जर्दी व धूप
आयोडिन200-220mcgदालें, दूध, अंडे, मांस, आयोडीन युक्त नमक
वसा30 gmवनस्पति तेल, मक्खन, घी, नारियल,
जिंक 12mgलाल मीट, मुर्गी , अंडे, डेयरी उत्पाद, नटस, केले, अनाज

पोषक तत्वों का महत्व

प्रत्येक पोषक तत्व का अपना काम होता है। ये संपूर्ण रूप से मिलकर एक स्वस्थ शरीर के निर्माण करते हैं।

घटक /अवयव कार्य
प्रोटीनमहिला के गर्भाशय, स्तनों के विकास व बच्चे की शारीरिक विकास के लिए आवश्यक
कैल्सियम मजबूत हड्डियों व दाँतों के निर्माण में सहायक
आयरन आर0बी0सी0 ( RBCs) को आपके बच्चे तक ऑक्सीजन पहुँचाने में मदद करता है।
विटामिन ए स्वस्थ त्वचा, आंखों की रोशनी, व हड्डियों के विकास में
थायमिन यह कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण में मदद करता है।
विटामिन बी 12 आर0बी0सी0 ( RBCs) के निर्माण व तंत्रिका तंत्र के विकास में सहायक
विटामिन सी स्वस्थ मसूड़े व दाँत व हड्डियों के निर्माण में सहायक
फोलिक एसिड जन्मदोष या गर्भपात होने के खतरे को कम करता है।
विटामिन डी कैल्सियम के अवशोषण को बढाने में मदद करता है।
आयोडिनमस्तिष्क के उचित विकास में सहायक
वसाशरीर को ऊर्जा व बच्चे के विकास में सहायक
जिंक मांसपेशीयों के निर्माण में, प्रतिरोधक क्षमता बढाने में

इनके अलावा भी अन्य पोषक तत्व हैं , जो आपको सूक्ष्म मगर आवश्यक रूप से चाहिए। जैंसे सभी प्रकार के विटामिन्स व खनिज लवण।

इन बातों का रखें खयाल –

  • ताजे फल, सब्जियां व सूखे फल ( नट्स – काजू,बादाम, मुनक्के, खजूर, अखरोट, आदि ) अपने भोजन में अवश्य शामिल करें।
  • स्वच्छता का विशेष घ्यान दें। क्योंकी बहुत सारी तैयारियों के बीच हम सबसे प्रमुख बात भूल जाते हैं। गर्भवती महिला जो भी पोषण ग्रहण करे वह स्वच्छ और रोगाणुमुक्त होना चाहिए। अतः भोजन पकाने से पूर्व साफ होना चाहिए। रसोईघर में पर्याप्त सफाई होनी चाहिए।
  • यदि आपको किसी भोजन विशेष से एलर्जी हो तो, उसे अपने डॉक्टर से सलाह लेकर सेवन या वर्जित कर सकते हैं। या उसका दूसरा प्रतिस्थापनी ले सकते हैं।
  • वसा पदार्थों व नमक का सेवन कम मगर जरूरी रूप से करें।
  • गर्भावस्था में होने वाली लालसा या cravings को आप ले सकते हो, लेकिन बशर्ते वह खाने योग्य हो। और आप उसे पहले भी खाती आयी हो। लेकिन पहली बार खाने की लालसा को पहले चिकित्सक से विचार विमर्श कर लें।
  • एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स के अनुसार, सीफूड जैसे कि स्वोर्डफ़िश, शार्क, किंग मैकेरल, मार्लिन, ऑरेंज रफ़टी और टाइलफ़िश मैथिल मर्करी के स्तर में उच्च होते हैं और गर्भावस्था के दौरान इनसे बचना चाहिए।
  • अटपटा खाने की लालसा या जैंसे चाक, मिटटी, पत्थर, कोयला, राख, लकड़ी आदि खाने की लालसा आपके लिए नुकसानदायक हो सकती है। अतः इससे परहेज करें। और इस बारे में अपने चिकित्सक से संपर्क करें हो सकता है, ये किसी पोषक तत्व की कमी के संकेत हों।
  • एक बार में अधिक भोजन न लें। भोजन को 3 बार की जगह 6 बार में बांट दें । व समायांतरालों में भोजन ग्रहण करें। इससे भोजन का पाचन भी ठीक होगा व कब्ज आदि की शिकायत से बचे रह सकते हैं।
  • तनाव से बचने के लिए अपनी बातें व समस्याएं परिवारवालों से व अपनी दोस्त से साझा करें। संगीत सुनना, किताबें पढ़ना, रूचिपूर्ण कार्यों में मन लगाना आदि लाभकारी हो सकते हैं।
  • व्यायाम को आवश्यक रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करें। यदि आप ने पहले कभी व्यायाम नहीं किया तो धीरे धीरे शुरूआत करें। ज्यादा दबाव और मेहनत वाली कसरत से बचें।
  • पर्याप्त आराम करें। भरपूर नींद लें। थका देने वाले कामों में मदद लें।

इनसे करें परहेज –

  • शराब (Alcohol ), धुम्रपान (smoking ) , तंबाकू, नशीली दवाईयों (drugs) आदि से
  • बासी भोजन, अधपका भोजन, कच्चा मांस व ज्यादा तला भुना भोजन लेने से बचें।
  • शीतल पेय पदार्थ ( cold drinks ) व प्रशितित भोजन, जंक फूड या डिब्बाबंद भोजन से
  • अत्यधिक कैफिन की मात्रा लेने से बचें। (जैंसे चाय या कॉफी कम मात्रा में लें )
  • बिना पॉश्च्युराइज्ड ( unpasteurized ) दुग्ध या दुग्ध उत्पादों का प्रयोग न करें।

बच्चों में टीकाकरण चार्ट